देहरादून। निकाय चुनाव की घोषणा के बाद उत्तराखंड की राजनीति में तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। इसी कड़ी में भाजपा के देहरादून महानगर कार्यालय में रायशुमारी कार्यक्रम के दौरान एक अप्रिय घटना घटी। कार्यक्रम में मौजूद महिलाएं आपस में भिड़ गईं, जिससे नौबत हाथापाई तक पहुंच गई।
इस घटना पर कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला। दसौनी ने कहा कि भाजपा का नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन सिखाने में पूरी तरह असफल हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासन में चल रही “खुली लूट” के कारण हर कार्यकर्ता पार्षद बनना चाहता है और नगर निगम में हुए पिछले भ्रष्टाचार को दोहराने की इच्छा रखता है।
गरिमा ने देहरादून नगर निगम में महापौर सुनील उनियाल गामा के कार्यकाल में 80 करोड़ रुपये से अधिक के कथित भ्रष्टाचार और भूमि कब्जाने के मामलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन मामलों को खुद देहरादून की पूर्व जिलाधिकारी सोनिका ने उजागर किया था।
दसौनी ने कहा कि आरक्षण की अनंतिम सूची जारी होने के बाद से राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। भाजपा के भीतर दावेदारों की संख्या बढ़ने से अंतर्कलह साफ नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि देहरादून जिले में महापौर पद के लिए एक दर्जन से ज्यादा दावेदार सामने आ चुके हैं। इनमें गामा, अग्रवाल, थपलियाल, मित्तल, गोयल, ध्यानी, पंवार, और पुरोहित शामिल हैं।
रायशुमारी कार्यक्रम के दौरान देहरादून महानगर की निवर्तमान पार्षद और प्रेमनगर कांवली मंडल अध्यक्ष के बीच बहस इतनी बढ़ गई कि बात हाथापाई तक पहुंच गई। हालांकि भाजपा नेताओं ने इसे सुझावों को लेकर हुई चर्चा बताया और मामले को आपसी बातचीत से सुलझा लेने की बात कही। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि घटना गंभीर थी और इसे दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
दसौनी ने कहा कि भाजपा के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उन्होंने हरिद्वार सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अवैध खनन पर दिए बयानों और सांसद अनिल बलूनी की आपदा प्रबंधन में कोताही के आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि यह भाजपा के अंदरूनी संकट का प्रमाण है।
दसौनी ने तंज कसते हुए कहा, “जब बोए पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय?” उन्होंने कहा कि भाजपा के भीतर बढ़ता अंतर्विरोध पार्टी नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।