चमोली में वनाग्नि को लेकर तीन दिवसीय विशेष जागरूकता प्रशिक्षण, डीएम ने  वनाग्नि की रोकथाम के लिए सामूहिक प्रयास को बताया जरूरी

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चमोली। जिले में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए 11 से 13 जनवरी 2025 तक एक तीन दिवसीय विशेष जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह प्रशिक्षण जिला प्रशासन, वन विभाग और फायर सर्विस के संयुक्त तत्वावधान में वन पंचायत सरपंच, ग्राम प्रधान, महिला और युवक मंगल दलों को दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दूसरे दिन जिला पंचायत सभागार में एक गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं और उसके दुष्प्रभावों के बारे में चर्चा की गई।

इस अवसर पर, फायर सेफ्टी उपकरणों, फर्स्ट एड किट और वनाग्नि सुरक्षा के उपायों पर मॉकड्रिल किया गया। साथ ही, 200 से अधिक प्रतिभागियों को फायर सेफ्टी सूज वितरित किए गए।

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने विगत वर्ष फायर सीजन में उत्कृष्ट कार्य करने पर कई वन पंचायत सरपंचों और ग्राम प्रधानों को सम्मानित किया। सम्मानित व्यक्तियों में किशन सिंह बिष्ट (कुजो मैकोट), वीरेन्द्र सिंह रावत (देवराड), गोविंद सोनी (देवाल पूर्णा), कैलाश चन्द्र खण्डूरी (बणसोली) और भगवती प्रसाद सती (सीरी) शामिल थे।

जिलाधिकारी ने कहा कि वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देश में यह पहल की गई है। उनका उद्देश्य है कि वनाग्नि घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाई जाए और ऐसी घटनाओं पर त्वरित नियंत्रण पाया जाए।

उन्होंने सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि चमोली, जो चारधाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, में वनाग्नि पर प्रभावी रोकथाम की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। जिलाधिकारी ने महिलाओं के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि चिपको आंदोलन की तरह महिला शक्ति इस कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

जिलाधिकारी ने यह भी घोषणा की कि वनाग्नि रोकने में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को जनपद स्तर पर सम्मानित किया जाएगा और जंगल में आग लगाने वालों की सूचना देने पर ₹10,000 का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा, आग लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के प्राकृतिक तत्वों की रक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने यह भी बताया कि चमोली जिले में 6 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र है, जिसमें से 3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र अति संवेदनशील है। इस वर्ष जिले में 228 वनाग्नि घटनाएं हुई थीं और वनाग्नि रोकथाम के लिए 106 क्रू स्टेशन स्थापित किए गए हैं।

प्रशिक्षण गोष्ठी में मुख्य विकास अधिकारी नंदन कुमार, उप वन प्रभागीय अधिकारी जुगल किशोर, एसडीओ विकास और वन विभाग के रेंज अधिकारियों सहित कई अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे।

देवभूमि खबर

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