देहरादून।हिमालय और लद्दाख को बचाने की मांग के साथ दिल्ली में आमरण अनशन कर रहे प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के समर्थन में देहरादून में एक मौन उपवास का आयोजन किया गया। उत्तराखंड इंसानियत मंच के तत्वावधान में यह उपवास कचहरी स्थित मातृशक्ति स्थल पर रखा गया, जिसमें उत्तराखंड के कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
उपवास का आयोजन सोनम वांगचुक की उस अपील के बाद किया गया, जिसमें उन्होंने हिमालय को बचाने के हिमायती सभी लोगों से अपने-अपने शहरों और गांवों में उपवास रखने का आग्रह किया था। देहरादून में उपवास के दौरान लोग हाथों में “हिमालय बचाओ”, “उत्तराखंड बचाओ” और “सोनम वांगचुक के समर्थन में” जैसे नारे लिखी तख्तियां लिए हुए थे।
मौन उपवास के दौरान यह खबर मिली कि दिल्ली में लद्दाख भवन में सोनम वांगचुक के समर्थन में आए लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस खबर के बाद उपवास में शामिल लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे सरकार की दमनकारी नीति करार दिया। उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा की गई यह कार्रवाई निंदनीय है और यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, “हम उत्तराखंड में जो लड़ाई लड़ रहे हैं, सोनम वांगचुक भी वही लड़ाई लड़ रहे हैं। यह लड़ाई हिमालय को बचाने की है, और हम सब इसके साथ हैं।”
सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने सोनम वांगचुक के समर्थकों की गिरफ्तारी पर चिंता जताई और कहा कि हिमालय एक नाजुक पारिस्थितिकी वाला क्षेत्र है, और इसे बचाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। उन्होंने वांगचुक के आंदोलन को एक वैश्विक मुद्दा बताया, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है।
बैंक यूनियन के नेता जगमोहन मेहंदीरत्ता ने कहा, “सोनम वांगचुक का आंदोलन केवल लद्दाख या हिमालय तक सीमित नहीं है, यह पूरे विश्व को बचाने का आंदोलन है। उनके साथ जो व्यवहार किया जा रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने इस प्रकार की गिरफ्तारियों को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की।
उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने भी दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की और कहा, “वहां जो वीडियो सामने आए हैं, उनमें साफ दिख रहा है कि लोग शांति से बैठे हुए थे, फिर भी पुलिस ने जबरन उन्हें उठाकर गाड़ी में भर दिया। यह लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है।” उन्होंने इसे देश का दुर्भाग्य बताया और सरकार से वांगचुक की मांगों पर तत्काल विचार करने की अपील की।
सांख्य योग एसोसिएशन के मुकुल शर्मा ने भी वांगचुक के आंदोलन का पूरा समर्थन किया और कहा कि यह आंदोलन हिमालय की पारिस्थितिकी और लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और वांगचुक की मांगों पर ध्यान दे।
इस मौके पर उत्तराखंड इंसानियत मंच के नंद नंदन पांडेय, पूरन बर्तवाल, त्रिलोचन भट्ट, शांति नेगी, प्रभात डंडरियाल सहित कई अन्य लोग भी मौजूद थे। सभी ने एक सुर में वांगचुक और उनके समर्थकों के प्रति समर्थन व्यक्त किया और हिमालय के संरक्षण के लिए चल रही इस लड़ाई में अपनी प्रतिबद्धता जताई।
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