अंतर्राष्ट्रीय सीमा होने के कारण राज्य की विधायिका का परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर होने से प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ होगी: प्रो पुरोहित

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देहरादून।उत्तराखंड युवा मंच चंडीगढ़ द्वारा आयोजित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारीयों की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा एवं राज्य निर्माण के 24 वर्षों की यात्रा पर आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक नफा-नुकसान पर संगोष्ठी आयोजित की गई गोष्ठी को संबोधित करते हुए दून विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद मंमगाई ने कहा कि उत्तराखंड आज विकास के एक नए मोड़ पर खड़ा हुआ है जिसकी भूमिका इस नए राज्य बनने के बाद शुरू हुई हमने पिछले 24 वर्षों में राज्य बनने के बाद लगभग हर एक क्षेत्र में बहुत प्रगति की आज हमारे प्रति व्यक्ति आय हिमाचल प्रदेश से भी अधिक हो गई है परंतु अब भी चुनौतियाँ कम नहीं हैं, जिन विषयों को लेकर राज्य बनने के लिए मांग की गई थी वह थे बेरोजगारी, पलायन और क्षेत्र का विकास इन सभी में यदि अभी हम देखेंगे तो राज्य का पर्वतीय क्षेत्र अभी भी बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है अभी भी हमारे पास रोजगार के साधन कृषि के अलावा ज्यादा अधिक नहीं है, सारी आर्थिक गतिविधियां कुछ जिलों में ही सिमट कर रह गई है और पहाड़ में खेती के अलावा कोई भी साधन रोजगार के लिये उभरता दिखता नहीं है यह एक बड़ी चिंता की बात है क्योंकि क्षेत्रीय असमानता काफी बढ़ गई है जिसे दूर करना अति आवश्यक है यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम फिर उसी भवर में फंस जाएंगे.


दून विश्वविद्यालय स्कूल आफ मैनेजमेंट के डीन प्रोफेसर एच सी पुरोहित ने कहा कि राज्य का परिसीमन बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रफल के आधार पर किया जाना चाहिए क्योंकि उत्तराखंड एक सीमांत राज्य है जिसकी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं ऐसे में बेहतर और सुचारू प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की दृष्टि से विधानसभा का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न होकर क्षेत्रफल के आधार पर किया जाना चाहिए क्षेत्रफल के आधार पर विकास कार्यों का निर्धारण विभिन्न जनपदों में विकास खंडों के माध्यम से किया गया है, यदि राज्य की विधायिका में भी क्षेत्रफल के दृष्टिगत प्रतिनिधित्व होगा तो क्षेत्र का समुचित विकास सुनिश्चित होगा साथ ही कृषि एवं औद्यानिकी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों एवं काश्तकारों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण तथा नवाचार युक्त विधियों का कौशल होना आवश्यक है और इसके लिए ग्रामीण स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर नवाचार युक्त तकनीकी के प्रयोग हेतु कराए जाने आवश्यक है।

प्रोफेसर पुरोहित ने कहा कि पर्यटक व्यवस्था को हर मौसम के लायक सुगम और सुविधाजनक बनाने हेतु पर्यटक उद्योग से जुड़े युवाओं का भी प्रशिक्षण किया जाना चाहिए जिससे वे पर्यटकों को और बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने में सफल होंगे उत्तराखंड में उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थों को उत्तराखंडी थाली के रूप में हर ढाबे एवं होटल में उपलब्ध करने के प्रयास होने चाहिए साथ ही गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी थाली भी होटल और ढाबों में परोसे जाने वाले खान-पान हेतु प्रमुख रूप से स्थानीय खाद्य पदार्थों पर आधारित थाली विकसित करने से उत्तराखंड से जुड़ी हुई यादें पर्यटकों के माध्यम से राज्य के बाहर आसानी से पहुंच सकेगी और किसानों को भी लाभ होगा।

संगोष्ठी की अध्यक्षता आई एफ एस अधिकारी और चंडीगढ़ प्रशासन के विज्ञान प्रध्योगिकी सचिव श्री टी सी नौटियाल ने किया।

इस अवसर पर पुष्पेंद्र गुसाईं सहित उत्तराखंड युवा मंच के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे।

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