देहरादून।उत्तराखण्ड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2025-26 (त्रिवर्षीय) के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य के लिए ₹5,060 करोड़ का आबकारी राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रत्यक्ष लक्ष्य ₹2,519 करोड़ के सापेक्ष मदिरा दुकानों से अद्यतन अवधि तक लगभग ₹2,409 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया जा चुका है, जो 95.59 प्रतिशत उपलब्धि को दर्शाता है।
आबकारी विभाग ने स्पष्ट किया है कि राज्य के नागरिकों की भावनाओं एवं स्थानीय समुदाय की चिंताओं का विभाग पूर्ण सम्मान करता है। परन्तु तथ्यों से यह भी स्पष्ट होता है कि कुछ स्थानों पर मदिरा दुकानों के संचालन में उत्पन्न अवरोध वास्तविक जन-असंतोष नहीं, बल्कि कुछ हितलाभी एवं अवैध मदिरा तस्करी से जुड़े तत्वों द्वारा प्रेरित एवं प्रायोजित रूप में उत्पन्न किए जाते हैं। इन कारणों से वैध दुकानों का संचालन रुकता है, जिससे राज्य के राजस्व पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
इन प्रायोजित अवरोधों के परिणामस्वरूप 09 जनपदों में व्यवस्थित 41 दुकानों का संचालन संभव नहीं हो सका। जिलावार अनुमानित प्रत्यक्ष आर्थिक क्षति इस प्रकार रही—देहरादून ₹3.50 करोड़, हरिद्वार ₹1.20 करोड़, नैनीताल ₹12.50 करोड़, अल्मोड़ा ₹11.00 करोड़, चम्पावत ₹18.00 करोड़, बागेश्वर ₹23.00 करोड़, पौड़ी गढ़वाल ₹15.00 करोड़ तथा उत्तरकाशी ₹6.40 करोड़। वहीं टिहरी (ढालवाला) में दर्ज घटनाओं के कारण मदिरा दुकान कुछ दिनों तक बाधित रही, जिससे प्रतिदिन लगभग ₹16 लाख का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ।
इन जिलावार प्रभावों के साथ समग्र आकलन में यह स्पष्ट हुआ कि दुकानों के संचालन में उत्पन्न अवरोधों से प्रदेश को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग ₹200 करोड़ आबकारी राजस्व तथा लगभग ₹8 करोड़ VAT और संबंधित कर राजस्व की हानि हुई है।
अवैध मदिरा तस्करी पर नियंत्रण हेतु विभाग द्वारा विशेष प्रवर्तन अभियान संचालित किए जा रहे हैं। अद्यतन अवधि में 2,505 मुकदमे पंजीकृत किए गए तथा 45,685 लीटर अवैध मदिरा बरामद की गई है। प्रवर्तन के परिणामस्वरूप वैध बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। विगत वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 2.50 लाख पेटी विदेशी मदिरा की अतिरिक्त बिक्री हुई है और आगामी छह माह में लगभग 11 लाख पेटी की अतिरिक्त बिक्री की संभावना जताई गई है।
विभाग ने पुनः स्पष्ट किया है कि जहाँ वास्तविक जन-चिंताएँ होंगी, उनका सम्मान एवं समाधान प्राथमिकता से किया जाएगा। लेकिन वैध व्यापार में बाधा उत्पन्न कर राज्य के राजस्व को हानि पहुँचाने वाली प्रायोजित एवं अवैध गतिविधियों को किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। वैध व्यापार की सुरक्षा, दुकानों के सुचारु संचालन तथा राजस्व हितों के संरक्षण हेतु प्रवर्तन एवं प्रशासनिक कार्यवाही सघन रूप से जारी रहेगी।

