देहरादून।उत्तराखंड सरकार ने भूमि प्रबंधन और उपयोग के मामलों में सख्त कदम उठाते हुए, उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 (अनुकूलन एवं उपन्याय आदेश, 2001) के तहत कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा 7 अक्टूबर 2024 को जारी किया गया, जिसमें राज्य भर के आयुक्तों और जिलाधिकारियों को इन निर्देशों का अनुपालन करने के लिए कहा गया है।
उत्तराखंड में लंबे समय से लागू उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 के तहत संशोधन और विशेष प्रावधानों को अब और अधिक सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यतः धारा 154(4)(1)(के) और 154(4)(3) के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना सरकार की अनुमति के भूमि क्रय नहीं कर सकती है। इसके अलावा, इस धारा का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति बिना पूर्व अनुमति के भूमि का क्रय नहीं कर सकता। यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के क्रय करता है तो वह क्रय अमान्य होगा, और ऐसे मामलों में नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह धारा उन मामलों में लागू होती है जहां भूमि क्रय की अनुमति तो ली गई है, लेकिन उस भूमि का उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए किया जा रहा है। ऐसे मामलों में भी कार्रवाई की जाएगी, और संबंधित अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि भूमि का उपयोग उसी कार्य के लिए हो, जिसके लिए अनुमति प्राप्त की गई थी।
2020 में किए गए संशोधन के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा खरीदी गई भूमि की सीमा 12.5 एकड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि भूमि का क्रय 12.5 एकड़ से अधिक किया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति या संस्था से उसका अधिकार छीन लिया जाएगा। इस प्रकार की भूमि का उपयोग राज्य द्वारा किया जाएगा।
भूमि क्रय के मामलों में कई बार देखा गया है कि क्रेता को कृषि उपयोग के लिए अनुमति दी जाती है, लेकिन वह भूमि किसी अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग की जाती है। इस संदर्भ में सरकार ने कड़ा रूख अपनाते हुए कहा है कि यदि भूमि का उपयोग अनुचित तरीके से किया गया तो त्वरित कार्रवाई की जाएगी।सभी जिलाधिकारियों और संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि धारा 154(4) के उल्लंघन से संबंधित सभी मामलों की जानकारी एकत्रित की जाए और सात दिनों के भीतर राज्य सरकार को सूचित किया जाए।
जिन मामलों में 12.5 एकड़ से अधिक भूमि का क्रय किया गया है, उन मामलों की जानकारी भी प्रदान की जाएगी। इसके लिए राज्य के सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है। भूमि का दुरुपयोग होने पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।
इस पत्र में जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि भूमि के दुरुपयोग या बिना अनुमति के क्रय की जानकारी मिलने पर तुरंत संबंधित विभाग को सूचित करें और आवश्यक कार्रवाई करें।
उत्तराखंड सरकार द्वारा यह आदेश भूमि के अवैध क्रय-विक्रय और उसके अनुचित उपयोग को रोकने के लिए उठाया गया सख्त कदम है। इससे भूमि माफियाओं पर लगाम लगेगी और राज्य में भू-प्रबंधन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सख्त बनाया जा सकेगा।
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