देहरादून: उत्तराखंड एसटीएफ (साइबर पुलिस स्टेशन, गढ़वाल रेंज) ने नागपुर में एक बड़े साइबर घोटाले का भंडाफोड़ किया है, जिसमें लोगों के बायोमेट्रिक डेटा का उपयोग कर नए सिम कार्ड जारी किए जा रहे थे। इस मामले में दो महिला अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, जो हजारों सिम कार्ड धोखाधड़ी के उद्देश्य से साइबर अपराधियों को मुहैया करा रही थीं। अभियुक्ताओं ने सोशल मीडिया के जरिए ऑनलाइन ट्रेडिंग में अधिक मुनाफा देने का लालच देकर सिम कार्ड बेचने का काम किया।
यह घोटाला तब सामने आया जब देहरादून निवासी एक पीड़ित ने एसटीएफ को शिकायत दी कि उसने टेलीग्राम पर ऑनलाइन ट्रेडिंग बिजनेस का एक विज्ञापन देखा। उस विज्ञापन के लिंक पर क्लिक करने के बाद उसे एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां पहले से जुड़े लोग अपने मुनाफे के स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे थे। पीड़ित ने अभियुक्तों द्वारा दिए गए बैंक खातों में लगभग 23 लाख रुपये जमा कराए, जो बाद में साइबर धोखाधड़ी के रूप में सामने आया।
अभियुक्त पुष्पा बारापत्रे और यदम्मा सुल्तान ने गांव-गांव जाकर लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर उनके बायोमेट्रिक डेटा लिए और इसका उपयोग सिम कार्ड एक्टिवेट करवाने में किया। ये सिम कार्ड फिर साइबर अपराधियों, विशेष रूप से यदम्मा सुल्तान के पुत्र राजू सुल्तान को, जो फिलीपींस में रहता है और इस घोटाले का मास्टरमाइंड है, भेजे जाते थे। राजू सुल्तान और उसकी टीम ने इन सिम कार्ड्स का उपयोग भारत में और अन्य देशों में साइबर धोखाधड़ी करने के लिए किया।
इन अभियुक्तों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का इस्तेमाल कर ऑनलाइन ट्रेडिंग बिजनेस के झूठे विज्ञापन फैलाए। जब लोग उनके झांसे में आते थे, तो उन्हें एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा जाता था, जहां शेयर ट्रेडिंग के नाम पर मुनाफा दिखाया जाता था। समूह के लोग फर्जी मुनाफे के स्क्रीनशॉट शेयर करते, जिससे अन्य लोग भी पैसे निवेश करने के लिए प्रेरित होते।
इसके बाद, पीड़ितों द्वारा निवेश की गई राशि को धोखाधड़ी से अभियुक्तों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिया जाता था। अभियुक्तों ने अन्य लोगों के चालू खाते खुलवाकर उन खातों में इंटरनेट बैंकिंग एक्टिवेट की, जिससे वे इन खातों का उपयोग साइबर अपराध के लिए कर सके।
महिला अभियुक्तों ने हजारों सिम कार्ड एक्टिवेट किए और उन्हें राजू सुल्तान को फिलीपींस भेजा। इन सिम कार्ड्स का इस्तेमाल भारतीय बैंक खातों के मोबाइल नंबर बदलने और साइबर अपराध में किया गया। अभियुक्तों ने बैंक खातों में लिंक किए गए मोबाइल नंबरों को भी साइबर अपराधियों को उपलब्ध कराया, जिससे ठगी की गई रकम उन खातों में ट्रांसफर की जा सके।
अभियुक्तों ने अपनी पहचान छुपाने के लिए अन्य लोगों के नाम पर चालू खाते खुलवाए और इंटरनेट बैंकिंग की किट प्राप्त कर अपने स्वयं के उपयोग के लिए लॉग-इन आईडी और पासवर्ड बनाए। इन खातों से धोखाधड़ी की गई धनराशि को अलग-अलग खातों में स्थानांतरित किया जाता था ताकि जांचकर्ताओं की नजर से बचा जा सके।
उत्तराखंड एसटीएफ की टीम ने तकनीकी साक्ष्य जुटाते हुए नागपुर से दोनों महिला अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान, अभियुक्त पुष्पा बारापत्रे से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में सिम कार्डों की फोटो, कई बैंक खातों की जानकारी और अन्य साइबर अपराधियों के साथ संपर्क के सबूत मिले। पुलिस जांच में पाया गया कि दोनों महिला अभियुक्ताएं फिलीपींस स्थित मास्टरमाइंड राजू सुल्तान के साथ धनराशि के लेन-देन में शामिल थीं।
पूछताछ के दौरान अभियुक्ताओं ने स्वीकार किया कि उन्होंने 4,000 से 5,000 सिम कार्ड राजू सुल्तान को भेजे थे। इन सिम कार्डों का इस्तेमाल साइबर अपराधों में किया गया था, जहां बैंक खातों के मैसेज अलर्ट और अन्य ऑनलाइन गतिविधियों के लिए इनका उपयोग किया गया।
महिला अभियुक्ताओं ने यह भी बताया कि उनके बैंक खातों में लाखों रुपये का लेन-देन हुआ है, और विभिन्न राज्यों में इन सिम कार्डों से जुड़े साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं।
उत्तराखंड एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी तरह के फर्जी निवेश ऑफर, सोशल मीडिया के जरिए किए गए ट्रेडिंग के लालच या अनजान कॉल्स से बचें। उन्होंने लोगों को जागरूक रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को देने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी सलाह दी कि किसी भी अंजान व्यक्ति से दोस्ती करने से पहले सावधानी बरतें और अनजान कॉल्स पर निजी जानकारी साझा न करें।
उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर पुलिस टीम अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क में है और देश भर में इस प्रकार के साइबर अपराधों की जांच कर रही है।