उत्तराखंड एसटीएफ ने 1.27 करोड़ रुपये के डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम का भंडाफोड़ किया, मुख्य अभियुक्त भिलाई से गिरफ्तार।

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देहरादून।उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर क्राइम पुलिस टीम ने एक बड़े डिजिटल हाउस अरेस्ट स्कैम का पर्दाफाश किया है। इस घोटाले में 1.27 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पता चला, जिसमें एक अभियुक्त मोनू (काल्पनिक नाम) को भिलाई, छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया गया। इस गिरोह का मुख्य उद्देश्य लोगों को धोखा देकर, उनके बैंक खातों की जानकारी हासिल करना और फिर उन्हें धमकाकर पैसे ट्रांसफर करवाना था।

गिरोह के सदस्य खुद को मुम्बई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर Skype ऐप के जरिए वीडियो कॉल करते हैं। वे पीड़ितों को यह बताते हैं कि उनका नाम और अन्य विवरण किसी अवैध पार्सल में पाया गया है, जिसमें ड्रग्स, फर्जी पासपोर्ट और अन्य अवैध सामग्री है। यह दावा करते हुए वे उन्हें डराते हैं कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और नारकोटिक्स जैसे मामलों में जांच चल रही है।

एक बार पीड़ित डर जाता है, तो गिरोह उसे वीडियो कॉल के माध्यम से बयान दर्ज करने के लिए तैयार कर लेता है। इसके बाद वे Skype पर मुम्बई क्राइम ब्रांच की फर्जी साइट से कनेक्ट करते हैं और पीड़ित को पूरी जांच प्रक्रिया समझाते हैं। इस दौरान, पीड़ित को यह कहा जाता है कि वह घर के दरवाजे बंद रखे और किसी से बात न करे, ताकि जांच प्रक्रिया बाधित न हो।

वीडियो कॉल के दौरान, गिरोह पीड़ित से सभी बैंक खातों की जानकारी प्राप्त करता है। वे यह दावा करते हैं कि खातों में अनियमितता पाई गई है और इसलिए सभी पैसे की RBI द्वारा वैरिफिकेशन कराई जाएगी। वे पीड़ित को एक खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं, यह आश्वासन देते हुए कि जांच के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा।

जब पीड़ित और पैसा ट्रांसफर करने में असमर्थ हो जाता है, तो वे धमकाते हैं कि यदि पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (PCC) नहीं मिला, तो उसके बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएंगे और उसे 7 साल की सजा हो सकती है।

हरिद्वार में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत पंजाब निवासी पीड़ित से इसी तरीके से 43 लाख रुपये की ठगी की गई थी। जब पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ, तो उसने देहरादून के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।

साइबर क्राइम पुलिस ने मामले की गहनता से जांच की। इसमें बैंक खातों, मोबाइल नंबरों, और अन्य डिजिटल सबूतों का विश्लेषण किया गया। इसके बाद अभियुक्त मोनू को भिलाई, छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया गया। उसके कब्जे से ठगी में इस्तेमाल किए गए बैंक खाते का SMS अलर्ट सिम, एक मोबाइल हैंडसेट, और एक 16GB सैनडिस्क कार्ड बरामद किया गया।

अभियुक्त के खिलाफ देशभर के विभिन्न राज्यों में बंधन बैंक खाते से संबंधित 45 से अधिक शिकायतें दर्ज हैं। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।

डिजिटल हाउस अरेस्ट एक आधुनिक साइबर अपराध है, जिसमें ठग पीड़ितों को उनकी जानकारी के बिना घर में “कैद” करते हैं। वे वीडियो कॉल के जरिए पीड़ितों को डराते हैं, खुद को CBI, मुम्बई क्राइम ब्रांच, ED, या IT अधिकारियों के रूप में पेश करते हैं।

इन ठगों का मुख्य हथकंडा यह है कि वे पीड़ित को कोई ऐसी गलती बताते हैं, जो उसने की ही नहीं होती, जैसे फर्जी आधार कार्ड, कोरियर में ड्रग्स या मनी लॉन्ड्रिंग। इसके बाद वे व्हाट्सएप या Skype के माध्यम से पीड़ित से “जांच” में सहयोग करने के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं।

ठग, FedEx या किसी अन्य कंपनी के नाम से कॉल करते हैं और बताते हैं कि मुम्बई से ईरान भेजे गए एक पार्सल में अवैध सामग्री पाई गई है। इस पर पीड़ित का नाम, मोबाइल नंबर, और ईमेल आईडी दर्ज है।इसके बाद, ठग मुम्बई क्राइम ब्रांच से कॉल को कनेक्ट कर देते हैं। वे बताते हैं कि पीड़ित का आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल हो रहा है और उसे मुम्बई आकर सहयोग करना होगा।Skype वीडियो कॉल: पीड़ित को Skype ऐप डाउनलोड करने और वीडियो कॉल के जरिए बयान दर्ज करने के लिए कहा जाता है। इस दौरान, पीड़ित को कहा जाता है कि जाँच प्रक्रिया के दौरान वह दरवाजा बंद रखे और किसी से बात न करे।ठग पीड़ित से उसके बैंक खाते की जानकारी लेकर कहते हैं कि खातों में अनियमितता है, और उसे सारे पैसे एक विशेष खाते में ट्रांसफर करना होगा ताकि RBI जांच कर सके।ठग धमकी देते हैं कि यदि पीड़ित ने पैसा नहीं भेजा तो उसके सभी खाते फ्रीज हो जाएंगे और उसे जेल की सजा होगी।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने जनता को आगाह किया है कि डिजिटल हाउस अरेस्ट एक स्कैम है, और कोई भी CBI, मुम्बई क्राइम ब्रांच, साइबर क्राइम या कोई अन्य एजेंसी व्हाट्सएप या Skype के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट के नोटिस नहीं भेजती है।किसी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल से सावधान रहें, खासकर जब वह किसी सरकारी एजेंसी का नाम ले।किसी भी प्रकार के फर्जी दस्तावेज या अवैध सामग्री के मामले में डरें नहीं, और तुरंत पुलिस से संपर्क करें।किसी भी ऑनलाइन या फोन कॉल पर बैंक जानकारी साझा न करें।

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