देहरादून।महिला कल्याण विभाग द्वारा को संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें निराश्रित और दिव्यांग बच्चों के आत्मनिर्भर भविष्य की नींव रखी गई। इस कार्यक्रम में उन बच्चों को सम्मानित किया गया जिन्हें दिव्यांगता या विपरीत परिस्थितियों के कारण उनके परिवारों ने परित्याग कर दिया था।
मुख्य अतिथि के रूप में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की कैबिनेट मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने बच्चों से संवाद किया और उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा से प्रेरणा ली। महिला कल्याण विभाग के निदेशक श्री प्रशांत आर्या ने कार्यक्रम में भाग लेने वाले बच्चों के बारे में बताया कि इनमें से अधिकांश बच्चे उच्च शिक्षा या विभिन्न व्यावसायिक कोर्स में दाखिला ले चुके हैं, जैसे कि बी.टेक, बी.एस.सी, बी.बी.ए, जी.एन.एम, योगा में डिप्लोमा, ब्यूटीशियन कोर्स और कंप्यूटर कोर्स। विभाग की योजनाओं के तहत 104 किशोर-किशोरियों को पुनर्वासित किया गया है।
कार्यक्रम में कविता और प्रीति जैसी बच्चों की प्रेरणादायक कहानियाँ भी साझा की गईं। कविता, जो शारीरिक रूप से दिव्यांग है, 10 साल की उम्र में बालिका निकेतन, देहरादून में आई थी और आज वह शिशु सदन में केयरटेकर के रूप में सम्मानजनक जीवन जी रही है। प्रीति, जो मानसिक रूप से आंशिक दिव्यांग है, 12 साल की उम्र में बालिका निकेतन में आई थी और अब वहीं केयरटेकर के रूप में कार्यरत है। इन दोनों बच्चों ने समाज द्वारा अस्वीकार किए जाने के बावजूद अपने हौसले और मेहनत से सफलता की मिसाल पेश की है। इसके अलावा, संजना, रजनी गोस्वामी और मीना सरन जैसी बच्चियों की भी प्रेरक कहानियाँ साझा की गईं, जिन्होंने अपनी कठिन परिस्थितियों को पार कर सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन जीने की दिशा में कदम बढ़ाया।
इस कार्यक्रम में महिला कल्याण विभाग के निदेशक श्री प्रशांत आर्या, मुख्य परिवीक्षा अधिकारी श्री मोहित चौधरी, उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी श्रीमती अंजना गुप्ता और श्री राजीव नयन तिवारी सहित कई महत्वपूर्ण अधिकारी मौजूद रहे।