देहरादून।कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने उत्तराखंड के अशासकीय महाविद्यालयों की बदहाल स्थिति को लेकर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महाविद्यालयों के सामने आ रही समस्याओं को विस्तार से रखा और सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया।
धस्माना ने कहा कि प्रदेश के प्रमुख अशासकीय महाविद्यालय जैसे डीएवी महाविद्यालय, डीबीएस महाविद्यालय और एमकेपी महाविद्यालय समेत सभी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में 2019 से शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों पर रोक लगी हुई है, जिससे महाविद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। डीएवी महाविद्यालय में 183 स्वीकृत पदों में से 56 पद खाली हैं, जबकि एमकेपी महाविद्यालय में 63 पदों में से 49 पद रिक्त पड़े हैं। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों पर रोक के कारण विभिन्न संकायों में शिक्षकों की कमी हो गई है, जिससे कई महाविद्यालयों में छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। इससे महाविद्यालय बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
धस्माना ने राज्य सरकार पर अशासकीय महाविद्यालयों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकारी महाविद्यालयों को जिस प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं, वैसी सुविधाएं अशासकीय महाविद्यालयों को नहीं दी जा रहीं। यह नीति राज्य के शिक्षा तंत्र के लिए घातक सिद्ध हो रही है।
मुख्य सचिव को सौंपे गए 16 सूत्रीय मांग पत्र में उन्होंने मांग की कि अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियों पर से रोक हटाई जाए और मृतक आश्रितों की भर्ती भी खोली जाए। इसके अलावा, सरकारी महाविद्यालयों की तरह अशासकीय महाविद्यालयों को भी सीएम शोध प्रोत्साहन योजना, नैक एक्रीडेशन के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और मकान किराए में समानता जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएं।
धस्माना ने यह भी कहा कि निजी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की तरह अशासकीय महाविद्यालयों में फीस बढ़ोतरी के लिए एक समिति गठित की जाए, जो इन संस्थानों की वित्तीय स्थिति और आवश्यकताओं का आकलन कर सके।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आश्वासन दिया कि वे इस मामले पर उचित कार्रवाई करेंगी और मांग पत्र में दिए गए सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
इस बैठक में धस्माना के साथ डीएवी कॉलेज एल्युमिनी के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अनिल जग्गी और श्री अनुज शर्मा भी उपस्थित थे।