अल्मोडा करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। उत्तर भारत की विवाहित महिलाएं इस व्रत का बेसब्री से इंतजार करती हैं। यह पर्व खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और दिल्ली सहित कई राज्यों में मनाया जाता है। चतुर्थी तिथि के कारण इसे “करवा चौथ” कहा जाता है।
इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए। व्रत के अंत में महिलाएं छलनी से चंद्र दर्शन करती हैं और पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ का पौराणिक महत्व:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, करवा नामक एक महिला ने अपने पति की रक्षा के लिए यह व्रत रखा था। वहीं, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी यह व्रत किया था। देवताओं और दानवों के युद्ध के दौरान, ब्रह्मा जी के सुझाव पर इंद्राणी और अन्य देवताओं की पत्नियों ने यह व्रत किया, जिसके बाद देवताओं की विजय हुई। तभी से यह परंपरा जारी है।
प्रताप सिंह नेगी, समाजसेवी, ने बताया कि हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार के पीछे अलग-अलग पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, और यह परंपराएं प्राचीन काल से चली आ रही हैं।
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