विकासनगर। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को जोड़ने वाले सिंहपुरा-नावघाट पुल की कनेक्टिविटी न होने के कारण जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस पर जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष और जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये की लागत से बना यह पुल अब शोपीस बनकर रह गया है, क्योंकि इसकी एप्रोच रोड अब तक नहीं बन पाई है, जिससे लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
नेगी के अनुसार, यह पुल वर्ष 2015 में स्वीकृत हुआ था, लेकिन बिना हिमाचल सरकार के साथ कोई ठोस समझौता किए ही इसका निर्माण शुरू कर दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुल की कनेक्टिविटी के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी किए बिना ही निर्माण कार्य किया गया, जिससे वर्तमान में जनता को इसका कोई फायदा नहीं हो रहा है।
नेगी ने पुल का निरीक्षण करते हुए विभागीय और जनप्रतिनिधियों की अपरिपक्वता को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि यह पुल करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सिर्फ भू-माफियाओं को लाभ पहुंचा रहा है, जबकि आम जनता को इससे कोई सुविधा नहीं मिल रही। इसके अलावा, अब जब लापरवाही उजागर हो रही है, तो कुछ औपचारिक कागजी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन सवाल यह है कि निर्माण कार्य से पहले हिमाचल प्रदेश सरकार से जरूरी दस्तावेज क्यों नहीं लिए गए?
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि पुल का निर्माण तो हो चुका है, लेकिन कनेक्टिविटी न होने की वजह से इसका फायदा जनता को नहीं, बल्कि भूमि माफियाओं को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मोर्चा जल्द ही इस मामले को सरकार के समक्ष उठाएगा ताकि पुल का लाभ आम जनता को मिल सके।
निरीक्षण के दौरान मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, प्रवीण शर्मा पिन्नी, हाजी असद और संतोष शर्मा भी मौजूद थे।