#आसन कंजर्वेशन रिजर्व में खनन के काले कारोबार का है मामला। #सुप्रीम कोर्ट/ हाई कोर्ट के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां । #प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थापित कर दिए स्टोन क्रशर्स आदि।
विकासनगर । जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि जनपद देहरादून के विकासनगर क्षेत्रांतर्गत अति संवेदनशील क्षेत्र “आसन कंजर्वेशन रिजर्व” में 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर नियम विरुद्ध लाइसेंस (स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग संयंत्र, खनन पट्टे) जारी करने/ खनन क्रियाएं संचालित होने के मामले में जन संघर्ष मोर्चा ने महा. राज्यपाल से मा. सुप्रीम कोर्ट/ मा.उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना कराने को लेकर कई बार आग्रह किया तथा मीडिया के माध्यम से भी उक्त काले कारोबार के बारे में लगातार सरकार पर हमला किया, लेकिन राजभवन ने मा. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अनदेखा कर दिया। राज भवन लगभग एक वर्ष से मा. उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अनुपालना नहीं करा पाया।
नेगी ने कहा कि आसन कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में मा. सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की खनन क्रियाएं संचालित होने के मामले में दिनांक 14/ 2/ 2024 को तत्काल उक्त संवेदनशील क्षेत्र में 10 किमी. की परिधि के भीतर समस्त खनन क्रियाएं बंद करने के निर्देश दिए थे, लेकिन उक्त आदेश की अनुपालना कराने में राज भवन/ शासन/ सरकार सब फेल हो चुके हैं यानी सब मिलीभगत का खेल चल रहा है। अधिकारी आज स्वयं माफिया बन चुके हैं जिनका इलाज बहुत जरूरी हो गया है । उक्त आदेश के तहत मा. सुप्रीम कोर्ट ने 10 किलोमीटर की परिधि के भीतर किसी भी प्रकार की खनन क्रियाएं यथा स्टोन क्रशर, खनन पट्टे एवं स्क्रीनिंग प्लांट के संचालन पर रोक लगाने के आदेश पारित किए थे | आलम यह है कि मा. सर्वोच्च न्यायालय/ उच्च न्यायालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार एवं नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं,लेकिन राजभवन जानबूझकर बेखबर बना हुआ है।
नेगी ने कहा कि इस अति संवेदनशील क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक स्टोन क्रशर, स्क्रीन प्लांट व खनन पट्टे नियमों की धज्जियां उड़ाकर आवंटित किए गए। नेगी ने कहा कि पूर्व में मा. उच्च न्यायालय के निर्देश दिनांक 2/7 /2015 के द्वारा भी सरकार को खनन क्रियाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए थे ।उस वक्त सरकार ने मा. उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मा.सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की, लेकिन मा. सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से मना कर दिया था;तत्पश्चात सरकार ने फिर मा. उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की, उसको भी मा. उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया यानी वर्ष 2015 का आदेश आज तक भी प्रभावी है। मोर्चा राजभवन की इस नाकामी के खिलाफ गवर्नर साहब से इस्तीफे की मांग करता है।
पत्रकार वार्ता में -मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व दिलबाग सिंह मौजूद थे।