नयी दिल्ली ।कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में एक बार फिर से राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा गया और बताया जाता है कि राहुल गांधी फिर से पार्टी अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभालने को तैयार हो गए हैं। बताया गया कि कार्यसमिति की बैठक में इस प्रस्ताव को मौन स्वीकृति मिल गई यानी औपचारिक तौर पर किसी ने विरोध नहीं किया। यह प्रस्ताव राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रखा ।पिछले आम चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने 10 अगस्त 2019 को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। पहली बार वे 16 दिसम्बर 2017 को अध्यक्ष बने थे तब सोनिया गांधी ने 19 साल बाद यह पद उनके लिए छोड़ा था।
कांग्रेस के जानकार लोगों का कहना है कि साल 2019 में कांग्रेस के चुनाव हारने के बाद तब के अध्यक्ष राहुल गांधी ने चार पेज की एक चिट्ठी लिखी थी। उसमें कहा था कि कांग्रेस में शक्तिशाली लोग सत्ता से चिपके रहना चाहते हैं कोई सत्ता का त्याग करने का साहस नहीं दिखाता। हमें सत्ता की इच्छा के बिना त्याग और गहरी वैचारिक लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है उसके बिना हम अपने विरोधियों को नहीं हरा पाएंगें, लेकिन शायद किसी कांग्रेसी नेता ऩे इस बात पर ध्यान नहीं दिया
एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि आज़ादी के बाद से 73 साल में 39 साल नेहरू गांधी परिवार कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहा है। 1998 से अब तक के 23 साल में सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी अध्यक्ष रहे जबकि इस दौरान बीजेपी में दस लोग अध्यक्ष बने हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद हालांकि सोनिया गांधी नेकांग्रेस की ज़िम्मेदारी संभालने से इंकार कर दिया था,लेकिन 1998 में वे सीताराम केसरी को हटाकर अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठी। 14 मार्च 1998 से 16 दिसम्बर 2017 तक सबसे लंबे समय तक यानी 19 साल वे पार्टी की अध्यक्ष रहीं और यह कुर्सी उन्होंने अपने बेटे राहुल गांधी के लिए छोड़ी।
कांग्रेस के पुराने वरिष्ठ नेता बताते हैं कि आज़ादी के बाद का यदि कांग्रेस का इतिहास देखें तो अब तक कुल 19 कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं,पहले अध्यक्ष जे बी कृपलानी थे। कांग्रेस का चुनावी जीत का इतिहास देखा जाए तो इन 74 साल में हुए 17 आम चुनावों में 7 बार गैर-नेहरू गांधी नेता कांग्रेस अध्यक्ष रहा, उनमें 4 बार चुनाव जीते। जबकि नेहरू-गांधी परिवार के रहते हुए 10 चुनावों में से चार में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। आज़ादी के बाद से 14 गैर नेहरु-गांधी कांग्रेसी अध्यक्ष रहे हैं और उनकी सफलता की दर 57 फीसद रही है। राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों के ही नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव हारे हैं। राजीव गांधी के वक्त जब कांग्रेस के पास 400 से ज़्यादा सीटें थीं, तब 1989 में कांग्रेस चुनाव हार गई और 2014 में भी केन्द्र में यूपीए की सरकार थी लेकिन सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को सबसे कम 44 सीटें मिलीं।
नेहरु गांधी परिवार के नेता यानी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के रहते हुए कांग्रेस लोकसभा में अपने सबसे कम सीटों 2014 में 44 और 2019 में 52 पर पहुंच गईं। कांग्रेस के गैर नेहरू –गांधी अध्यक्ष नरसिंह राव के वक्त 1996 में 140 सीटें और सीताराम केसरी के वक्त 1998 में 141 सीटें मिलीं थी । यानी सोनिया गांधी के कार्यकाल से तीन गुना ज़्यादा सीटें।
इससे पहले देखें तो 1957 में यू एन ढेबर अध्यक्ष थे कांग्रेस ने 371 सीटें जीती थीं। 1962 के चुनावों में नीलम संजीव रेड्डी के रहते हुए कांग्रेस को 361 सीटें, 1967 में के कामराज के वक्त 283 सीटें और 1971 जब जगजीवन राम अध्यक्ष थे तो कांग्रेस को 352 सीटें मिलीं थीं।
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