देहरादून।दून यूनिवर्सिटी और आईआईटी रुड़की का संयुक्त प्रयास, आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित
दून यूनिवर्सिटी और आईआईटी रुड़की द्वारा आयोजित और आईसीएसएसआर, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 12 दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तीसरे दिन, प्रतिभागियों को बौद्धिक समृद्धि और व्यावहारिक शिक्षा का अनूठा अनुभव प्राप्त हुआ। इस दिन के सत्रों में शोध पद्धतियों की मूलभूत और उन्नत समझ को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया।
सुबह का सत्र प्रो. पंकज मदान, गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार के नेतृत्व में आयोजित हुआ। उन्होंने शोध पद्धति के मूलभूत पहलुओं और गुणात्मक अनुसंधान तकनीकों पर जोर दिया।
प्रो. मदान ने फोकस ग्रुप चर्चा और नृवंशविज्ञान विधियों जैसी गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को जोड़ा। उन्होंने प्रतिभागियों को तीन भूमिकाओं—मास्टर, ऑब्जर्वर, और एक्जीक्यूटिव—में विभाजित किया। इस इंटरएक्टिव पद्धति ने प्रतिभागियों को गुणात्मक अनुसंधान की बारीकियों को रोचक और व्यावहारिक तरीके से समझने का अवसर प्रदान किया।
कार्यक्रम निदेशक डॉ. सुधांशु जोशी ने सत्र के अंत में प्रो. पंकज मदान को उनके प्रेरणादायक सत्र के लिए धन्यवाद दिया।
प्रो. विनय शर्मा का रिफ्लेक्सिव मेथोडोलॉजी पर सत्र
दोपहर का सत्र प्रो. विनय शर्मा, आईआईटी रुड़की के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने रिफ्लेक्सिव मेथोडोलॉजी पर अपने सत्र में प्रतिभागियों को शोध के बुनियादी सिद्धांतों से उन्नत पद्धतियों तक की यात्रा करवाई।
उन्होंने प्रभावी शोध प्रश्नों के निर्माण, क्षेत्रीय अवधारणाओं को परिभाषित करने और मजबूत शोध प्रक्रियाओं को संरचित करने पर जोर दिया। प्रतिभागियों को यह समझने में मदद मिली कि शोध उद्देश्यों को क्षेत्रीय वास्तविकताओं के साथ कैसे समायोजित किया जाए।
डॉ. राजेश भट्ट, स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज ने दिन के समापन पर प्रो. विनय शर्मा को उनके ज्ञानवर्धक सत्र के लिए धन्यवाद दिया, जिसने प्रतिभागियों के शोध कौशल को और गहरा किया।
कार्यक्रम के तीसरे दिन ने यह स्पष्ट किया कि आयोजक शोध पद्धतियों की व्यापक समझ विकसित करने और प्रतिभागियों को प्रभावशाली अकादमिक व पेशेवर प्रयासों के लिए तैयार करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
दिन के अंत में, डॉ. प्रभात कुमार ने सभी प्रतिभागियों और संसाधन व्यक्तियों का उनके सक्रिय योगदान और उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया।