सूर्यप्रताप सिंह एवं श्री गौरव कुमार चौहान अपर निजी सचिव का निलम्बन बहाल किये जाने

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विषयः-सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा गठित समिति की संस्तुति के आधार पर श्री सूर्यप्रताप सिंह एवं श्री गौरव कुमार चौहान अपर निजी सचिव का निलम्बन बहाल किये जाने के सम्बन्ध में।,

उपरोक्त विषयक के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा वर्ष 2021 में आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा में हुई गडबडियों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, स्पेशल टास्क फोर्स देहरादून की शिकायत पर विभिन्न विभागीय कार्मिकों के साथ ही श्री सूर्य प्रताप सिंह, अपर निजी सचिव एवं श्री गौरव कुमार सिंह, अपर निजी सचिव को भी गिरफ्तार किया गया था।

2- उपरोक्त गिरफ्तारी की सूचना के आधार पर 48 घन्टे से अधिक अवधि के लिए अभिरक्षा में निरूद्ध होने के कारण सचिवालय प्रशासन अधिष्ठान अनुभाग के आदेश दिनांक 23.08.2022 के द्वारा इन दोनो कार्मिकों को उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील नियमावली) 2003 यथा संशोधित 2010 के नियम-4 (3) में उल्लिखित प्राविधानो के अन्तर्गत निलम्बित किया गया है।

3- निलम्बन अवधि के उपरान्त लगभग 01 वर्ष 5 माह से अधिक समय होने के उपरान्त भी आतिथि तक उक्त दोनो कार्मिकों के विरूद्ध वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, स्पेशल टास्क फोर्स, उत्तराखण्ड, देहरादून के द्वारा जो आरोप तय किये गये है उनके साक्ष्य / तथ्य उपलब्ध नहीं कराये गये है, और ना ही विभाग द्वारा कोई आरोप पत्र इन कार्मिकों को निर्गत किया गया है।

3- अपनी गिरफ्तारी के लिए उक्त दोनो कार्मिको के द्वारा मा० न्यायालय चर्तुथ अपर सत्र न्यायाधिश, देहरादून की अदालत में अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। मा० न्यायालय द्वारा संबधित कार्मिकों के जमानत आदेश में स्पष्ट

रूप से प्रस्तर सं0-6 में यह उल्लेख किया गया है कि (श्री गौरव कुमार चौहान एवं श्री सूर्य प्रताप सिंह के सम्बन्ध में) अभियोजन पक्ष द्वारा कोई ऐसा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे प्रथम दृष्टया यह दर्शाता हो कि प्रार्थी/अभियुक्त द्वारा छल कारित करने के उद्देश्य से किसी मूल्यवान प्रतिभूति को कुटरचना कारित की गयी हो। अभी तक के अन्वेषण में प्रार्थी / अभियुक्त के विरूद्ध केवल कुछ अभ्यार्थियों द्वारा केवल धनराशि प्राप्त कर स्नातक स्तरीय परीक्षा, 2021 के प्रश्नपत्र को परीक्षा से पूर्व उपलब्ध कराये जाने का कथन किया गया है। प्रार्थी / अभियुक्त से किसी धनराशि या अन्य सारवान साक्ष्य की बरामदगी नहीं हुई है। पत्रावली पर अभियुक्तों के विरूद्ध केवल मौखिक साक्ष्य विद्यमान है। मा० न्यायालय द्वारा उक्त टिप्पणी के साथ दिनांक 21.10.2022 को उक्त कार्मिकों के जमानत आदेश को स्वीकार किया गया है।

4- मा० न्यायालय के आदेश दिनांक 21.10.2022 के अनुपालन में श्री सूर्यप्रताप सिंह एवं श्री गौरव कुमार चौहान अपर निजी सचिव, के द्वारा सचिवालय में योगदान किया गया है।

5- अवगत कराना है कि किसी भी कार्मिक का निलम्बन एवं बहाली के सम्बन्ध में शासनादेशों में निम्न व्यवस्थाएं निहित है :-

(1) सरकारी कर्मचारियों का निलम्बन तथा निलम्बन से सम्बन्धित मामलों का शीघ्र निस्तारण के सम्बन्ध में कार्मिक विभाग के शासनादेश संख्या-1626 दिनांक 23.01.2003 में यह प्राविधान किये गये हैं अत्यन्त गंभीर मामलों में भी अधिकतम 03 माह के भीतर आरोप पत्र दे दिया जाय।

(2) कार्मिक विभाग के शासनादेश संख्या-1626 दिनांक 23.01.2003 में यह प्राविधान किये गये हैं कि जिन कर्मचारियों के निलम्बन की अवधि 06 महीने की हो चुकी है और आरोप पत्र तामील नहीं किया गया है और किन्हीं अपरिहार्य कारणों से ऐसा करना सम्भव न हो, तो उन्हें तत्काल बहाल कर दिया जाय। बहाली के बाद सम्बन्धित कर्मचारी के विरूद्ध आरोपों की गम्भीरता को देखते हुए प्रासंगिक नियमावली के प्राविधानों के अनुसार कर्मचारी को पुनः निलम्बित किये जाने का औचित्य हो, तो समुचित आधार देते हुए ऐसा किया जा सकता है। किन्तु ऐसे मामलों में निलम्बन के आदेश के साथ-साथ आरोप पत्र अवश्य दिया जाय और निलम्बन आदेश जारी करने से पूर्व कार्मिक विभाग की अनुमति अवश्य प्राप्त कर ली जाय।

(3) कार्मिक अनुभाग-2 के शासनादेश संख्या-1543 दिनांक 28.12.2005 में अंकित दिशा-निर्देशों के प्रस्तर 5.4 में निहित व्यवस्थानुसार यदि निलम्बन काल की अवधि 06 माह से अधिक बीत जाय, तो प्रत्येक 06 माह में निलम्बन का पुर्ननिरिक्षण किया जाय।

उक्त शासनादेश के 5.2 में व्यवस्था है कि यदि मामला, जांच सतर्कता अधिष्ठान / अपराध अनुसंधान को सौंप दिया गया है तो विभागीय स्तर पर औपचारिक जांच नहीं की जानी चाहिये और यदि विभागीय स्तर पर जांच चल रही हो तो, रोक देनी चाहिये। अन्तिम जांच आख्या प्राप्त होने तक

नियमानुसार अग्रेत्तर कार्यवाही की जानी चाहिये। ( 4) निलंबन के संबंध में जारी शानादेश संख्या-1626/कार्मिक-2/ 2002 दिनांक 23.01.2003 में यह भी स्पष्ट उल्लिखित है किः- “किसी कर्मचारी को निलंबित किये जाने पर एक ओर उसकी आत्मसम्मान को भारी ठेस पहुंचती है और दूसरी ओर उसे इस काल में आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है।6- यह भी अवगत कराना है कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, स्पेशल टास्क फोर्स देहरादून की शिकायत पर इन प्रकरणों पर विभिन्न विभागीय कार्मिकों को गिरफ्तार कर निलम्बित किया गया था, मा० न्यायालय द्वारा दी गई जमानत पर विभिन्न विभागों के द्वारा अपने कार्मिकों का निलम्बन समाप्त कर सेवा में बहाल कर दिया गया है। इन विभागों में शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग के कार्मिकों को उनके विभाग द्वारा बहाल किया गया है।

7- सचिवालय प्रशासन (अधिष्ठान) अनुभाग-4 के आदेश सं0-328 दिनांक 21 अप्रैल, 2023 के द्वारा श्री सूर्यप्रताप सिंह एवं श्री गौरव कुमार चौहान अपर निजी सचिव को बहाल किये जाने के प्रकरण पर 03 अधिकारियों की समिति गठित करते हुए यह निर्णय लिया गया था कि समिति की संस्तुति प्राप्त होने के अनुक्रम में सक्षम स्तर पर निर्णय लिया जायेगा।

8- अवगत कराना है कि दिनांक 04.05.2023 को समिति की बैठक में मा० न्यायालय द्वारा प्रस्तर-6 में उल्लिखित टिप्पणी का संज्ञान लेते हुए एवं प्रकरण पर न्याय विभाग द्वारा दिये गये परामर्श के आलोक में श्री सूर्यप्रताप सिंह एवं श्री गौरव कुमार चौहान अपर निजी सचिव को उनके विरूद्ध मा० सक्षम न्यायालय में लम्बित वादों में मा० न्यायालय के अन्तिम निर्णय के अधीन बहाल किये जाने की संस्तुति की गई है। अतः उपरोक्त तथ्यों के आधार पर उत्तराखण्ड सचिवालय संघ आपसे

अनुरोध करता है कि मा० न्यायालय द्वारा उल्लिखित टिप्पणी एवं समानता के आधार पर समान प्रकरण में अन्य विभागीय कार्मिकों की सेवा बहाली की भाँति तथा विभागीय स्तर पर गठित समिति की अनुशंसा के आधार पर श्री सूर्यप्रताप सिंह एवं श्री गौरव कुमार चौहान अपर निजी सचिव, उत्तराखण्ड शासन को भी तत्काल प्रभाव से बहाल किये जाने हेतु संबधित्तों को निर्देश जारी करने की कृपा करें।

कृपापूर्ण सहयोग हेतु सचिवालय संघ आपका सदैव आभारी रहेगा।

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