देहरादून।दून विश्वविद्यालय ने डी.एस.टी.-पर्स के तत्वावधान में “कनेक्टिंग स्कूलस विद दून यूनिवर्सिटी” पहल शुरू की है। विश्वविद्यालय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पर्स योजना के तत्वावधान में 4 अक्टूबर 2024 को उत्तराखंड के स्कूलों के रसायन विज्ञान शिक्षकों के लिए वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारी (एस.एस.आर.) के रूप में ” हैंडस-ऑन माइन्डस ऑन केमिस्ट्री टीचिंग “ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
इस कार्यशाला को रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (आर.एस.सी.) लंदन द्वारा भी समर्थन प्राप्त था। कार्यशाला में उत्तराखंड के विद्यालयों के लगभग 100 रसायन विज्ञान शिक्षकों ने भाग लिया। उद्घाटन के दौरान सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी श्री मनीष अग्रवाल मुख्य अतिथि थे। समारोह की अध्यक्षता दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने की। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) पुणे की प्रधान तकनीकी अधिकारी डॉ. नीरजा देशपुत्रे प्रशिक्षक थीं।
प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि पर्स (प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी.) का एक प्रमुख कार्यक्रम है। उन्होंने उल्लेख किया कि पर्स को डी.एस.टी. द्वारा उसी वर्ष 2009 में लॉन्च किया गया था जब दून विश्वविद्यालय ने अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया था। पर्स विशेष रूप से देश के विश्वविद्यालय क्षेत्र के लिए है। देश भर में लगभग 60 विश्वविद्यालय हैं जिन्हें पिछले 15 वर्षों के दौरान पर्स के तहत सहायता के लिए डीएसटी द्वारा चुना गया है। प्रो डंगवाल ने उल्लेख किया कि अब तक यह उत्तराखंड राज्य में एकमात्र दून विश्वविद्यालय है जिसे पर्स के तहत समर्थन के लिए डी.एस.टी. द्वारा चयनित किया गया है। पर्स योजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों की अनुसंधान क्षमता को मजबूत करना और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के पोषण और देश में विश्वविद्यालयों के अनुसंधान एवं विकास आधार को मजबूत करने के लिए सहायता प्रदान करना है। पर्स के तहत, दून विश्वविद्यालय राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के प्रमुख क्षेत्र (यानी, स्वच्छ ऊर्जा) पर मिशन मोड अनुसंधान गतिविधियों को चलाने के लिए काम कर रहा है।
श्री मनीष अग्रवाल (सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी) ने बताया कि कार्यशाला की सूचना उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों में प्रसारित की गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्यशालाएं स्कूली शिक्षकों के लिए काफी फायदेमंद होती हैं। उन्होंने इस तरह की पहल और उत्तराखंड के स्कूलों को जोड़ने के लिए दून विश्वविद्यालय की सराहना की।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में प्रोफेसर गजेंद्र सिंह, डॉ. स्वाति बिष्ट, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. चारू द्विवेदी, डॉ. हिमानी शर्मा, डॉ. आशा राम गैरोला, डॉ. सरिता, डॉ. कोमल, डॉ. उपस्थित रहे। उज्जवल कुमार, डॉ. सुनीत नैथानी, डॉ. खुशबू सिंह और डॉ. शिवानी वर्मा।
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