देहरादून। तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव ‘स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024’ का आयोजन देहरादून के थानो क्षेत्र में भव्य रूप से हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महोत्सव का उद्घाटन करते हुए देश के पहले हिमालयी ‘लेखक गाँव’ का लोकार्पण किया। ‘स्पर्श हिमालय फाउंडेशन’ के तत्वावधान में स्थापित यह ‘लेखक गाँव’ हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड के साहित्य, संस्कृति और कला को समर्पित है, जहाँ देश-विदेश के लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रकृति के सान्निध्य में सृजन का अवसर मिलेगा।
‘लेखक गाँव’ में रचनाकारों के लिए एक संपूर्ण सांस्कृतिक और साहित्यिक परिसर तैयार किया गया है, जिसमें ‘लेखक कुटीर’, ‘संजीवनी वाटिका’, ‘नक्षत्र और नवग्रह वाटिका’, पुस्तकालय, कला दीर्घा, योग और ध्यान केंद्र, परिचर्चा केंद्र तथा ‘गंगा और हिमालय संग्रहालय’ शामिल हैं। इस गाँव का उद्देश्य साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने वाले लोगों को एक ऐसा स्थान प्रदान करना है जहाँ वे प्रकृति, संस्कृति, और ज्ञान-विज्ञान का साक्षात्कार कर अपने विचारों को सृजनशीलता के माध्यम से संवार सकें।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने इस अवसर पर कहा कि ‘लेखक गाँव’ का यह अभिनव प्रयास उत्तराखंड के सृजनशील युवाओं और लेखकों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि ‘स्पर्श हिमालय फाउंडेशन’ के माध्यम से राज्य में साहित्य और संस्कृति की धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जो साहित्य और कला को नई पीढ़ी के साथ जोड़ेगा।
राज्यपाल ने कहा, “लेखक गाँव साहित्यकारों को एक ऐसा सृजनात्मक वातावरण प्रदान करेगा, जो उन्हें आत्म-चिंतन और विचार-मंथन के नए आयामों तक ले जाएगा। यह परिसर उन महान लेखकों की विरासत को सजीव रखेगा, जिन्होंने अपने शब्दों के माध्यम से समाज को नई दिशा दी।”
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘लेखक गाँव’ की परिकल्पना के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की सोच की सराहना की और इसे लेखकों के लिए एक ऐतिहासिक पहल करार दिया। उन्होंने कहा, “लेखक गाँव लेखकों, कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचनाकारों की व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करेगा। यह एक अनूठा स्थान है जो उनकी सृजनशीलता को बढ़ावा देगा।”
कोविंद ने कहा कि लेखन एक अद्वितीय क्षमता है, जो किसी के जीवन में चमत्कार ला सकती है। एक लेखक के रूप में लेखन के माध्यम से समाज में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया जा सकता है। उत्तराखंड का यह ‘लेखक गाँव’ न केवल लेखकों को एकता और सहयोग के साथ जोड़ने का काम करेगा, बल्कि यह भविष्य में एक प्रमुख सांस्कृतिक पर्यटन स्थल भी बनेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड का साहित्य और कला में अद्वितीय स्थान है। यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य और शांति ने वर्षों से लेखकों, कवियों और विचारकों को प्रेरित किया है। उन्होंने ‘लेखक गाँव’ की स्थापना के लिए डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को बधाई दी। उन्होंने कहा, “यह गाँव हमारे राज्य के साहित्यकारों को विश्वभर से आए साहित्यकारों और कलाकारों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करेगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी समाज का साहित्य ही उसका सच्चा प्रतिबिंब होता है, जो संस्कृति, मूल्य और विचारों को उजागर करता है। राज्य सरकार ने ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’ जैसे पुरस्कारों के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करने की पहल की है। साथ ही, विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता योजना और ‘साहित्य भूषण’ तथा ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ जैसे पुरस्कारों के तहत 5 लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जा रही है।
भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज की। उन्होंने कहा कि एआई के दौर में साहित्य और रचना का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जो आंतरिक चिंतन और स्वयं के साक्षात्कार से संबंधित है। उन्होंने कहा कि एकांत और सृजनात्मक वातावरण ही लेखक को आत्म-खोज के नए आयाम प्रदान कर सकता है, जिसे ‘लेखक गाँव’ के माध्यम से साकार किया गया है।
जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा कि यह आयोजन लेखकों और विचारकों को अपनी कृतियों को लिखने और सृजनशीलता को संजोने का अनूठा अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि ‘लेखक गाँव’ जैसी पहल हमें अपनी संस्कृति से जोड़ने और आत्म-चिंतन की ओर ले जाने का कार्य करेगी।
महोत्सव के संयोजक डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस पहल की परिकल्पना को साझा करते हुए बताया कि यह ‘लेखक गाँव’ देश के विभिन्न प्रदेशों और 40 से अधिक देशों से आए प्रतिभागियों को एक मंच प्रदान करेगा। इसके माध्यम से साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में विचारों का आदान-प्रदान होगा।
इस अवसर पर सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक बृजभूषण गैरोला, विधायक आदेश चौहान सहित देश-विदेश के लेखक, चिंतक और समाजसेवी भी उपस्थित रहे।
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