देहरादून।पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन (एनएमओपीएस ) के आह्वान पर उत्तराखंड के शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) और यूनिफाइड पेंशन योजना (यूपीएस) की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन प्रदेश के 13 जनपदों, 110 तहसीलों, और 95 ब्लॉकों में हुआ, जहां विभिन्न विभागों और कार्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों ने अपनी नाराजगी जाहिर की।
उत्तराखंड में 1 अक्तूबर 2005 को पुरानी पेंशन योजना (OPS) को हटाकर नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की गई थी, जिससे शिक्षकों और कर्मचारियों में आक्रोश है। वे इसे अपनी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा पर हमला मानते हैं। उनके अनुसार, एनपीएस और यूपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन बेहद कम है, जो सेवानिवृत्ति के बाद उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कई शिक्षकों और कर्मचारियों का कहना है कि 30 से 40 साल की सेवा के बाद भी उन्हें मात्र 1000 से 2000 रुपये की पेंशन मिलती है, जो सम्मानजनक जीवनयापन के लिए नाकाफी है। इसी वजह से 1 अक्तूबर को ‘काला दिवस’ के रूप में मनाया गया।
एनएमओपीएस के प्रदेश अध्यक्ष श्री जीत मणी पैन्यूली ने कहा कि राज्य के शिक्षक और कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं। उन्होंने एनपीएस और हाल ही में आई यूपीएस को शिक्षकों और कर्मचारियों की जीवनभर की कमाई पर पेंशन के नाम से “लूट” करार दिया। पैन्यूली के अनुसार, ये योजनाएं कर्मचारियों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देने में पूरी तरह असमर्थ हैं। इसी कारण शिक्षक और कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं और इस दिन को अपने अधिकारों पर चोट के रूप में याद कर रहे हैं।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष जग मोहन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के शिक्षक और कर्मचारी पूरे जोश के साथ पुरानी पेंशन बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जब तक पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं होती, वे किसी अन्य पेंशन योजना को स्वीकार नहीं करेंगे। प्रांतीय कोषाध्यक्ष शान्तनु शर्मा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु के नेतृत्व में इस लड़ाई को जीतने का संकल्प दोहराया। महिला विंग की प्रांतीय अध्यक्ष उर्मिला द्विवेदी ने कहा कि मातृशक्ति भी इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रही है, और उनकी भागीदारी से यह आंदोलन पूरी तरह सफल होगा।
प्रदेश के सभी प्रमुख कार्यालयों, सचिवालय, विधानसभा, निदेशालय, और विभिन्न विभागों के प्रमुख कार्यालयों में एनपीएस और यूपीएस की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया। शिक्षा निदेशालय, स्वास्थ्य निदेशालय, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, रेशम विभाग, पंचायती राज विभाग जैसे विभागों के अधिकारी और कर्मचारी भी इस आंदोलन में शामिल हुए।
विरोध प्रदर्शन के दौरान एनएमओपीएस के राष्ट्रीय और प्रांतीय कार्यकारिणी के प्रमुख सदस्य भी सक्रिय रहे। इनमें प्रांतीय अध्यक्ष जीत मणि पैन्यूली, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जग मोहन सिंह रावत, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी सूर्य सिंह पंवार, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शान्तनु शर्मा, महिला विंग की प्रांतीय अध्यक्ष उर्मिला द्विवेदी और कई अन्य प्रमुख नेता शामिल थे। इन नेताओं ने विभिन्न कार्यालयों का दौरा कर कर्मचारियों से संपर्क किया और उन्हें पुरानी पेंशन योजना की बहाली के संघर्ष में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
प्रदेश के लगभग सभी जनपदों से शिक्षकों और कर्मचारियों ने इस आंदोलन में भाग लिया। देहरादून, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, और बागेश्वर के शिक्षकों और कर्मचारियों ने एनपीएस और यूपीएस की प्रतियां जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया।
शिक्षकों और कर्मचारियों की मांग स्पष्ट है – वे पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली चाहते हैं। उनका मानना है कि एनपीएस और यूपीएस उनके भविष्य को सुरक्षित करने में असमर्थ हैं और इससे उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रभावित होती है। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक ओपीएस बहाल नहीं होती, वे अपने विरोध को जारी रखेंगे और सरकार पर दबाव डालते रहेंगे।
एनएमओपीएस के नेता आंदोलन को और व्यापक बनाने के लिए प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी समर्थन जुटा रहे हैं। इस आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने की योजना है, ताकि पूरे देश के शिक्षक और कर्मचारी मिलकर एकजुट होकर पुरानी पेंशन की बहाली के लिए संघर्ष कर सकें।
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