चमोली।विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज रात 9:07 बजे विधि-विधान और भक्तिमय माहौल के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने से पहले करीब 7,500 से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए। मंदिर को श्री बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति, ऋषिकेश द्वारा भव्य फूलों से सजाया गया।
धाम में सुबह-शाम की सर्द हवाओं और पहाड़ियों पर बर्फ की चादर के बीच तीर्थयात्रियों की चहल-पहल बनी रही। कपाट बंद होने के अवसर पर महिला मंगल दल और स्थानीय कलाकारों ने लोक नृत्य और जागर जैसी प्रस्तुतियां दीं। सेना और दानीदाताओं द्वारा श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने यात्रा समापन के अवसर पर भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए और कहा कि इस वर्ष यात्रा ऐतिहासिक रही। प्रशासन और मंदिर समिति के समन्वयन से करीब 14.25 लाख श्रद्धालु धाम पहुंचे। श्री बदरीनाथ मास्टर प्लान के कार्यों से आने वाले समय में तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय और मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने सफल यात्रा के लिए सभी विभागों और तीर्थयात्रियों का आभार व्यक्त किया।
कपाट बंद होने की प्रक्रिया रात्रि 7:30 बजे शुरू होगी, जिसके अंतर्गत रावल अमरनाथ नंबूदरी और वेदपाठियों द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी। भगवान बदरीविशाल को घृत कंबल ओढ़ाने के बाद रात 9:07 बजे कपाट बंद कर दिए जाएंगे।
कपाट बंद होने के बाद 18 नवंबर को श्री उद्धव जी और कुबेर जी शीतकालीन प्रवास के लिए योग बदरी, पांडुकेश्वर जाएंगे। 19 नवंबर को रावल जी और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर पहुंचेगी, जहां शीतकालीन पूजाएं शुरू होंगी।
कपाट बंद होने के दिन कोटद्वार विधायक दिलीप रावत, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, और कई प्रशासनिक अधिकारी धाम में मौजूद रहे। धाम में तीर्थयात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए गए थे।
श्री बदरीनाथ धाम की यात्रा का यह अध्याय समाप्त होने के साथ ही मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन ने 2025 यात्रा वर्ष की तैयारियों की ओर ध्यान केंद्रित कर दिया है।