देहरादून। उत्तराखंड ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक नया अध्याय लिखते हुए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला पहला राज्य बनने का गौरव हासिल किया। सोमवार को सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी अधिसूचना का अनावरण किया और ucc.uk.gov.in पोर्टल का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपने विवाह का पंजीकरण इस पोर्टल पर कराया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे उत्तराखंड और पूरे देश के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह समाज में समानता स्थापित करने और कुप्रथाओं को समाप्त करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह कानून महिलाओं के अधिकारों को सशक्त करेगा और हलाला, तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगाएगा।
यूसीसी के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने 2.35 लाख लोगों से संपर्क कर ड्राफ्ट तैयार किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर और संविधान सभा के सदस्यों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
सीएम ने घोषणा की कि यूसीसी लागू होने के पहले छह महीने में विवाह पंजीकरण, तलाक या निरस्तीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि हर साल 27 जनवरी को “समान नागरिक संहिता दिवस” के रूप में मनाया जाएगा।
सीएम ने कहा कि यूसीसी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर कानूनी भेदभाव को समाप्त करता है। यह सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का संवैधानिक प्रयास है। इसमें लड़कों की न्यूनतम विवाह आयु 21 और लड़कियों की 18 वर्ष तय की गई है। साथ ही, बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं।
यूसीसी के तहत लिव-इन संबंधों को भी पंजीकरण के दायरे में लाया गया है। लिव-इन से जन्मे बच्चों को समान अधिकार दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने इस ऐतिहासिक कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणादायक होगा।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, सौरभ बहुगुणा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।