देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा शहीद स्मारक पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता केशव उनियाल और संचालन पूरण सिंह लिंगवाल ने किया। बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य आंदोलनकारियों के 10% क्षैतिज आरक्षण की रक्षा, चिन्हीकरण के लंबित मामलों का समाधान, प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को तेज करना, और राज्य स्थापना दिवस की तैयारियों पर चर्चा करना था।
वरिष्ठ आंदोलनकारी शिवराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री से अपील की कि जल्द ही उच्च न्यायालय के महाधिवक्ताओं और पूरे पैनल के साथ बैठक बुलाकर 10% क्षैतिज आरक्षण अधिनियम और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर न्यायाधीशों के सामने तथ्य प्रस्तुत किए जाएं। उनका कहना था कि सरकार की मेहनत को कोई नुकसान न हो और प्रदेश में उसकी छवि खराब न हो।
पुष्पलता सिलमाणा और सुलोचना भट्ट ने बैठक में बताया कि राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए प्रमाण पत्र का स्पष्ट प्रारूप उपलब्ध न होने के कारण जिला प्रशासन कोई कदम नहीं उठा पा रहा है, जिससे बुजुर्ग आंदोलनकारियों को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। उन्होंने शासन से जल्द इस मुद्दे को सुलझाने की मांग की।
प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती और अन्य वरिष्ठ आंदोलनकारियों जैसे जबर सिंह और ललित जोशी ने भी सरकार से यह अपील की कि स्थापना दिवस से पहले चिन्हीकरण के लंबित मामलों का निपटारा कर शासनादेश जारी किया जाए। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि कुछ बिंदुओं पर चर्चा और सुझावों के लिए शिष्टमंडल से वार्ता का समय निर्धारित किया जाए।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आगामी 24 अक्टूबर को आयोजित भू कानून और मूल निवास संबंधी रैली में प्रतिभाग किया जाएगा। इस दौरान भू कानून को सशक्त बनाने और उत्तराखंड की मूल जनता के अधिकारों की रक्षा पर जोर दिया गया। बैठक के अंत में वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी बब्बर गुरुंग और डॉ. आर.पी. रतूड़ी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
इस बैठक में प्रमुख रूप से जबर सिंह बर्त्वाल, जगमोहन सिंह नेगी, शिवराज सिंह रावत, बिश्म्बर दत्त बौन्ठीयाल, प्रदीप कुकरेती, संतन सिंह रावत, ललित जोशी, अजय कंडारी, विजय बलूनी, संगीता रावत, पुष्पलता सिलमाणा, सुलोचना भट्ट, और अन्य कई वरिष्ठ आंदोलनकारियों ने भाग लिया।