बार-बार अध्यादेश लाकर मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने से क्यों कतरा रही सरकार:सूर्यकांत धस्माना

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देहरादून।उत्तराखंड में मलिन बस्तियों के मुद्दे को लेकर राजनीति गर्म हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह बार-बार अध्यादेश लाकर मलिन बस्तियों के निवासियों को मालिकाना हक देने से कतरा रही है। देहरादून में अपने कैंप कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में धस्माना ने कहा कि राज्य सरकार पिछले कई वर्षों से मलिन बस्तियों के नियमितीकरण और उनके निवासियों को मालिकाना हक देने के बजाय अध्यादेश का सहारा लेती आ रही है, जो ना तो बस्तियों के हक में है और ना ही राज्य के हित में।

धस्माना ने आरोप लगाया कि 2018 में जब प्रदेश की मलिन बस्तियों पर उजड़ने का खतरा मंडरा रहा था, तब कांग्रेस के नेतृत्व में मलिन बस्ती विकास परिषद ने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया था। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की भाजपा सरकार ने पहली बार एक अध्यादेश लाकर बस्तियों को बचाने का प्रयास किया। यह अध्यादेश 2021 में तीन वर्षों के लिए दोबारा लाया गया। अब जब 23 अक्टूबर को इस अध्यादेश की अवधि समाप्त होने वाली है, तो एक बार फिर राज्य सरकार नया अध्यादेश लाने की तैयारी में है, जबकि छह वर्षों में सरकार को मलिन बस्तियों के नियमितीकरण, मालिकाना हक और पुनर्वास का इंतजाम कर लेना चाहिए था।

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर इस मुद्दे का स्थाई समाधान नहीं किया, ताकि वह चुनावी समय में बस्तियों के निवासियों को उजड़ने का डर दिखाकर और अध्यादेश लाकर वोट हासिल कर सके। धस्माना का कहना है कि भाजपा हमेशा मलिन बस्तियों को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करती रही है, और अब तीसरी बार भी वही खेल खेल रही है।

कांग्रेस नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी हमेशा मलिन बस्तियों के नियमितीकरण और उनके निवासियों को मालिकाना हक देने के पक्ष में रही है। उन्होंने वादा किया कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर मलिन बस्तियों को नियमित किया जाएगा और उनके निवासियों को मालिकाना हक दिया जाएगा, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।

धस्माना ने सरकार से मांग की कि वह मलिन बस्तियों के लिए अध्यादेश लाने की बजाय मालिकाना हक का कानून लागू करे, ताकि इन बस्तियों के निवासियों को न्याय मिल सके।

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