अल्मोड़ा।प्रदेश की सुदूरवर्ती क्षेत्रों को सड़क से जोड़ने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत से रूबरू होना हो तो भैंसियाछाना ब्लॉक का बुरियानायल ग्रामसभा चले आइए। यह गांव आजादी के 74 साल बाद भी सड़क से वंचित है। सड़क से 10 किमी की पैदल दूरी होने के कारण ग्रामसभा का 80 प्रतिशत पलायन हो चुका है और जो आर्थिक तंगी के कारण गांव छोड़कर शहर मे नही बस सकते वे बेबसी और लाचारी का जीवन जीने को मजबूर है।
आजादी के 74 साल बाद भी भैंसियाछाना ब्लॉक का बुरियानायल ग्रामसभा आज भी सड़क जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा हैं। हालात ये है कि सड़क से 10 किमी की पैदल दूरी होने के कारण ग्रामसभा का 80 प्रतिशत पलायन हो चुका है और जो आर्थिक तंगी के कारण गांव छोड़कर शहर मे नही बस सकते वे बेबसी और लाचारी का जीवन जीने को मजबूर है। जनसंख्या का पलायन होने से प्राथमिक स्कूल बंद हो चुके है, विकास कार्यो के लिए मजदूर नही होने से कार्य ठप हो चुके है और जो परिवार अपने बच्चों को नजदीकी बाजार मे किराये मे रखने मे असमर्थ है वे छोटे-छोटे मासूम बच्चों को 10 किमी पैदल स्कूल छोड़ने जाते है। स्थिति ऐसी है कि खाने के लिए नमक भी खत्म होने पर 10 किमी पैदल बाजार जाना पड़ता हैं।
ऐसे हालात मे भी ग्रामसभा बबुरियानायल के 26 साल के युवा ग्रामप्रधान महेश सिंह बोरा ने हिम्मत नही हारी हैं अपनी स्नाकोत्तर की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने पलायन नही किया बल्कि पंचायती चुनाव मे भाग लेकर ग्रामप्रधान बने फिर वन विभाग को प्रस्ताव देकर ग्रामसभा को जोड़ने वाले सम्पर्क मार्गों की मरम्मत ही नही करवाई बल्कि स्वयं मजदूरी करके दो पहिया वाहन जाने लायक बनाया। अब उनकी वजह से गाँव तक दो पहिया वाहन पहुँच पा रही हैं। ग्रामसभा घने जंगल के बीच मे होने के कारण हमेशा जंगली जानवरों का भय बना रहता था जिसके लिए उन्होंने ग्रामसभा मे जगह सोलर स्ट्रीट लाइट लगवायी। ग्रामसभा के कृषि खेतों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए उन्होंने प्रत्येक गाँव के लिए सोलर फेंसिंग हेतु प्रस्ताव व प्राथमिक विद्यालयों के पुनः संचालन के लिये संबंधित विभाग को प्रस्ताव दिए है और जल्द ही इस पर कार्य होगा। उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि ग्रामसभा मे प्रयाप्त लेबर न होने के कारण वे प्रयाप्त मात्रा मे विकास कार्य नही करवा पा रहे है। साथ ही सड़क के बारे मे बात करने पर उन्होंने बताया कि शिक्षा और सुरक्षा ग्रामीणों का संवैधानिक अधिकार ही नही बल्कि मौलिक अधिकार भी है जिसके लिए वे हमेशा कोशिश करते रहेंगे।