आईपीएस खुराना और इंस्पेक्टर दोनों को ले डूबी उच्चाधिकारियों की जी हजूरी: रघुनाथ सिंह नेगी

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#ओनिडा फैक्ट्री अग्नि कांड में हुई 12 मजदूरों की मौत से जुड़ा है मामला। #सीजेएम कोर्ट ने एफ. आर. की खारिज | #आईपीएस खुराना उच्चाधिकारी के मौखिक आदेश की भुगत रहे सजा। #इंस्पेक्टर डंडरियाल भुगत रहे खुराना के आदेश की सजा।#धारा 304 को 304 ए में कर दिया था परिवर्तित। #फैक्ट्री मालिक को कर दिया था विवेचना से बाहर।#उत्तराधिकारी गृह विभाग के प्रमुख सचिव ओम प्रकाश की जी हजूरी में थे व्यस्त। #पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने की संभावना हुई प्रबल।

विकासनगर।जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि वर्ष 2013 में पुलिस उपमहानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र का कुछ दिनों के लिए अतिरिक्त कार्यभार संभालने वाले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, देहरादून श्री केवल खुराना ने अपने उच्चाधिकारी को खुश करने के लिए वर्ष 2012 में मंडावली, थाना मंगलौर, हरिद्वार में (दर्ज मु.अ. संख्या 49 /2012) स्थित मृक इलेक्ट्रॉनिक्स (ओनिडा फैक्ट्री) में हुए भीषण अग्निकांड के शिकार 12 मजदूरों की जलकर मौत की धारा 304 को 304 ए में परिवर्तित करने एवं फैक्ट्री मालिक को मामले से बाहर निकालने का खामियाजा भुगत रहे हैं। श्री खुराना द्वारा जांच अधिकारी श्री महेंद्र सिंह नेगी (प्रभारी निरीक्षक कोतवाली रानीपुर) एवं बाद में श्री पंकज गैरोला प्रभारी निरीक्षक को हटाकर उनकी जगह मुनि की रेती, टिहरी गढ़वाल से थाना प्रभारी श्री राजीव डंडरियाल को जांच अधिकारी नामित करना/ करवाना तथा बाद में मामले में एफआर लगाना जी का जंजाल बन गया है।इस पूरे प्रकरण की जांच पहले पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) हरिद्वार द्वारा भी की गई थी। गौर करने वाली बात यह है कि उस वक्त के एसएसपी, हरिद्वार द्वारा विवेचक बदलने का विरोध किया गया था ,लेकिन इसके बावजूद विवेचक बदला गया। उक्त के उपरांत वर्ष 2015 में पुलिस महानिरीक्षक श्री संजय गुंजियाल द्वारा पुलिस मुख्यालय को प्रेषित रिपोर्ट में पूरे मामले में इन अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे।

नेगी ने कहा कि उक्त पूरे मामले में मा. सीजीएम द्वारा एफआर रद्द कर दोबारा जांच के आदेश दिए गए हैं। इसी प्रकार इंस्पेक्टर श्री राजीव डंडरियाल श्री खुराना के आदेश एवं जी हजूरी का खामियाजा भुगत रहे हैं यानि दोनों अधिकारियों पर गाज गिर रही है तथा सूत्रधार पूरी पिक्चर से गायब हैं।इस पूरी कड़ी में उक्त उच्चाधिकारी तब के गृह विभाग के प्रमुख सचिव श्री ओम प्रकाश(अब रिटायर्ड ) की भूमिका अभिलेखों के मुताबिक कुछ भी नहीं है,जबकि सारा किया धरा दोनों उच्चाधिकारियों का ही है।मोर्चा को उम्मीद है कि पीड़ित पक्ष को न्याय मिलेगा एवं अधिकारियों को नेताओं की जी हजूरी/ सत्ता की चापलूसी एवं उच्चाधिकारियों के गलत आदेश की अनुपालना न करने का भी सबक मिलेगा।

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