देहरादून।देवभूमि विचार मंच के तत्वाधान में आयोजित प्रांत कार्यकारिणी सदस्यों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता एवं प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक श्री जे नंदकुमार जी ने कहां कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से नई पीढ़ी का परिचय करना हम सब का दायित्व है। हमें यह समझना होगा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में संवैधानिक मूल्य की संरक्षा हमारे मजबूत सांस्कृतिक परिवेश व सामाजिक परंपराओं के कारण संभव हो पाया है । दुनिया की कई संस्कृतियों लगभग विलुप्त होती चली गई परंतु हमारे विरासत की व्यापकता और सर्वग्रहिता के कारण यह आज सबको मार्ग दिखा रही है। इतने विशाल और बड़े लोकतंत्र में ‘स्व’ के भाव को जागृत करने के लिए हमें अग्रसर होना होगा। श्री जे नंद कुमार ने कहा कि विदेशी आक्रमणों ने भारतीय संस्कृति नष्ट करने के कई प्रयास पूर्व में किये जो आज तक भी जारी हैं।
अंग्रेजी लेखकों द्वारा भारतीयता के ‘स्व’ के भाव को नष्ट करने का प्रयास किया गया और इसके लिये इतिहास के तथ्यों को तथा ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। समाज के सामने इस तरह से विमर्श रखे गए की एक व्यक्ति के तौर पर उसकी सोच में कमजोरी का भाव आ गया। प्रज्ञा प्रवाह इसी ‘स्व’ के भाव को समाज के सामने जनमानस के बीच प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुति करने का निरंतर प्रयास कर रहा है। क्योंकि मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं राष्ट्र के विकास के लिए समाज में ‘स्व’ के भाव का जागृत होना आवश्यक है।
देवभूमि विचार मंच उत्तराखंड द्वारा आयेजित बैठक में क्षेत्र संयोजक श्री भगवती प्रसाद राघव ने प्रतिभागियों को विशेष मार्गदर्शन देते हुए कहा कि हमें अपनी स्वतंत्र वैचारिक सोच विकसित करने के लिए सबसे पहले औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलना होगा और इसके लिए शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अनवरत विमर्श, विचार मंथन तथा शोध संचालित करने की आवश्यकता है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियां अपनी संस्कृति की विशालता एवं व्यापकता को समझ सकें जिससे उसके अनुरूप उनका व्यवहार एवं आचरण विकसित होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दून विश्विद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल ने कि हमें बाज़ारवादी शक्तियो से सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि आज के सामाजिक परिवेश को पूर्णतः बाजार की शक्तियां नियंत्रित कर रही है इसलिए आवश्यकता है कि बाजारवादी व्यवस्था से समाज को दूषित होने से बचाया जाए और इसके लिए हर स्तर पर लगातार कार्य करने की आवश्यकता है। कुलपति ने राष्ट्रीयता के भावों को जागृत करने में ‘स्व’ के महत्त्व पर चर्चा की तथा प्रज्ञा प्रवाह द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उसे पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर देवभूमि विचार मंच का कार्यवृत प्रान्त संयोजक डॉ अंजलि वर्मा ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजेश भट्ट विश्विद्यालय संयोजक व कार्यक्रम संयोजक ने किया। कार्यक्रम का आयोजन डॉ रवि कुमार जोशी व डॉ प्राची पाठक किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विजय सारस्वत, प्रो आर पी ममगाई, प्रो एच सी पुरोहित, कृष्ण चंद्र मिश्रा, डॉ रवि शरण दीक्षित, पृथ्वीधर काला, डॉ अरुण कुमार, डॉ नरेंद्र रावल, डॉ राकेश भट्ट सहित प्रान्त कार्यकारिणी के सदस्य सम्पूर्ण उत्तराखंड से रहे।