नई टिहरी । राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नई टिहरी में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा कृमि मुक्ति हेतु आह्वान किया गया। देश के हर बच्चे को कृमि मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की एक पहल है।
कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ रेनू नेगी द्वारा किया गया। कृमि मुक्ति पखवाड़े के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ वी पी सेमवाल ने स्वयं सेवियों को संबोधित करते हुए बताया कि विश्व भर में 836 मिलियन से अधिक बच्चों को परजीवी कृमि संक्रमण का जोखिम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 1 से 14 की आयु के 241 मिलियन बच्चे परजीवी आंत्र कृमि के जोखिम से पीड़ित हैं जिसे मृदा सचुरित कृमि संक्रमण (एस टी एच) के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति पखवाड़े का मकसद बच्चों के समग्र विकास, पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए विद्यालयों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से 1 वर्ष से 19 वर्ष की उम्र के बीच के बच्चों को कीड़े मारने की दवा (कृमि नाशक दवा) देना है। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नई टिहरी में जिला मुख्य चिकित्साधिकारी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के संयुक्त तत्वाधान में कृमि मुक्ति पर अभियान चलाया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवियों को “एल्बेंडाजोल” दवाई वितरित की गई। इस अवसर पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नई टिहरी के लगभग 150 से अधिक स्वयंसेवी ने प्रतिभाग किया। छात्र-छात्राओं में अंजलि, शिवानी, करिश्मा, राहुल, कार्तिकेय, आशुतोष, अंशिका आदि ने प्रतिभाग किया । महाविद्यालय के कार्यक्रम अधिकारी डॉ रजनी गुसाई ने भी छात्र छात्राओं के समक्ष कृमियों से होने वाले नुकसान पर विचार रखें।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ कविता काला, डॉ पी सी पैन्यूली, डॉ ए एम पैन्यूली, डॉ आरती खंडूरी, डॉ हेमा बिष्ट, डॉ सुमन सिंह गुसाईं, डॉ के के बंगवाल, डॉक्टर साक्षी शुक्ला, डॉ पुष्पा पंवार आदि उपस्थित रहे।