देहरादून।मानव का मन बुद्धि पर हावी होकर अपने लिए भोग के साधन जुटाता है। वर्तमान काल में मन की वृति तथा बौद्धिक क्षमता के परिणाम पर्यावरण प्रदूषण के रूप में स्पष्ट नजर आते हैं।
यह बात आज विश्व कल्याण के लिए पर्यावरण संरक्षण सामाजिक कुरीतियों को मिटाकर सुधार लाने के लिए सरस्वती विहार विकास समिति के द्वारा आयोजित शिव पुराण की कथा में ज्योतिष्पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ने कथा के माध्यम से कहीं ।
समिति के द्वारा कलश यात्रा निकाली गई जो सरस्वती विहार के ई ब्लॉक , ए ब्लॉक के मुख्य मार्गो से होते हुए निकली जिसमें अनेक लोगों ने अपने अपने स्थानों पर यात्रा का स्वागत किया।यात्रा में पीत वस्त्र में सैकड़ों की संख्या में महिला सिर पर कलश लिए , आगे-आगे झांकी शिव पार्वती शिवगणो का नृत्य मनमोहक झांकी तथा ढोल दमाऊ की थाप पर भक्तगण झूमते नजर आये ।
वहीं वेद ध्वनी के साथ जलाभिषेक हुआ कथा वाचन में शिवपुराण महात्म्य में चंचुला की भोग वृति को केंद्रित करते हुए आचार्य ममगांई नें कहा उपनिषद कार और भारतीय ऋषि जन मानव जाति को अस्वस्थ करते हैं ।आत्म तत्व मन से भी श्रेष्ठ तत्व है जो मन की वृत्ति को नियंत्रित करता है ।बुद्धि और आत्मा तत्व का सामंजस्य मानव जाति के लिए पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से वरदान है ।आत्म तत्व के प्रभाव से बुद्धि समस्त भूतों एवं प्राणी के प्रति समभाव और समदर्शी हो जाती है ।भारतीय धर्म दर्शन में पर्यावरण चिंतन ही ईश्वरी चिंतन का माध्यम है अतः इसमें पर्यावरण के प्रति श्रद्धा प्रेम एवं सम्मान के भाव की प्रेरणा दी जाती है ।हमारे यहां धर्मशास्त्र में यज्ञ कर्मकांड का भी पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत महत्व है। यज्ञ को लोग अर्थात समग्र पर्यावरण का कवच कहा गया है जिस प्रकार काया की सुरक्षा त्वचा से होती है उसी प्रकार लोग की सुरक्षा कैसे होती है भारतीय धर्म शास्त्रों द्वारा पूजा आदि धर्म के लक्षण भी पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। धैर्य आत्म संतोष दम इंद्रिय निग्रह से पर्यावरण के अनियंत्रित दोहन का पर अंकुश लग सकता है। वर्तमान में असत्य भाषण चोरी निंदा क्रोध असहिष्णुता आदि के कारण समाज में चतुर्दिक मानसिक कुंठा का प्रदूषण समाजिक अविश्वास का प्रदूषण भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद का प्रदूषण व्याप्त है। धर्मशास्त्र द्वारा प्रतिपादित लक्षण यथा क्षमा अस्तेय सत्य और क्रोध के प्रभाव से सभी प्रकार के सामाजिक मानसिक प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकता है।
आचार्य ममगांई कहते हैं राष्ट्र में या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आजकल राष्ट्रीय वन नीति राष्ट्रीय जल परियोजना जल नीति राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण नीति आदि का संचालन किया जा रहा है इनको कारगर करने की आवश्यकता है यदि इन नीतियों का संचालन धार्मिक आस्था के साथ किया जाए तो पर्यावरणीय संदर्भ में पर्याप्त सफलता मिल सकती है उदाहरण के लिए वृक्षों काटने के विरुद्ध चलाए गए उत्तरांचल के चिपको आंदोलन वृक्षारोपण संबंधी मैती परंपरा पर विचार कर सकते हैं मैती आंदोलन व्यवस्था से जुड़ा हुआ है वन्य जीव संरक्षण एवं वृक्षारोपण को ही धार्मिक भावना सही अनु प्रमाणित करते हुए सफल आंदोलन का रूप दिया जा सकता है
आज विशेष रूप से समिति के अध्यक्ष श्री पंचम सिंह बिष्ट, सचिव श्री गजेंद्र भंडारी ,रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री बी एस चौहान उपाध्यक्ष श्री कैलाश तिवारी, कोषाध्यक्ष श्री विजय सिंह रावत, वरिष्ठ मंत्री श्री अनूप सिंह फर्त्याल, शिव शक्ति मंदिर मंदिर संयोजक श्री मूर्ति राम बिजलवान ,सह संयोजक श्री दिनेश जुयाल, कनिष्ठ मंत्री श्री सुबोध मैठानी ,पार्षद विमल उनियाल , प्रचार सचिव श्री सोहन सिंह रौतेला, पूर्व अध्यक्ष श्री बी पी शर्मा पूर्व कोषाध्यक्ष श्री मंगल सिंह कुट्टी ,ऑडिटर श्री पी एल चमोली, श्री पुष्कर सिंह नेगी, श्री गिरीश डियौडी, श्री वेद किशोर शर्मा, श्री करण सिंह राणा, श्री बगवालिया सिंह रावत, श्री जय प्रकाश सेमवाल, श्री पुष्कर सिंह गुसाईं श्री कैलाश रमोला श्री नितिन मिश्रा, श्री एस एस नेगी, श्री सुमेर चंद रमोला, श्री कूमेर चंद रमोला, आचार्य राकेश बहुगुणा आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य कमल किशोर आचार्य हिमांशु मैठानी शिव शक्ति मंदिर के आचार्य पंडित उदय प्रकाश नौटियाल, पंडित सुशांत जोशी, श्री देवेंद्र भंडारी, श्रीमती हेमलता नेगी, श्रीमती मधु गुसाईं, श्रीमती सुदेश बाला गुप्ता, श्रीमती संगीता सेमवाल, आदि उपस्थित थे