विकासनगर ।देवभूमि खबर। जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि शासन व सरकार को सूचना आयुक्तों, न्यायाधीशों एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले राजनेताओं, समाजसेवियों की सुरक्षा की चिंता नहीं है, अगर है तो सिर्फ एक आईएएस सैंथिल पांडियन की। पांडियन के लिए सरकार ने रातों-रात फाइलें दौड़ाकर मात्र दो दिन के भीतर 06 माह के लिए शासकीय व्यय पर एक गनर की नियुक्ति का आदेश कर दिया। ऐसा प्रतीत होता है कि पांडियन के लिए प्रदेश में अलग कानून है।
यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता में नेगी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि 27 सितंबर को प्रमुख सचिव गृह आनन्द वर्धन ने अपर सचिव गृह को निर्देश दिये थे कि जिलाधिकारी, एसएसपी व पुलिस महानिदेशक से आख्या मांगकर पत्रावली पर प्रस्तुत करें, लेकिन बगैर रिपोर्ट के शासन ने 28 सितंबर को जिलाधिकारी को गनर प्रदान किये जाने के निर्देश जा कर दिये। नेगी ने कहा कि अगर शासन में बैठे अधिकारी इसी गति से जनसरोकार के काम करते तो निश्चित तौर पर उत्तराखण्ड की देश में अलग पहचान होती। नेगी ने कहा कि बड़े आश्चर्य की बात है कि किसी भी व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान किये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि सुरक्षा प्रदान किये जाने से पहले उक्त व्यक्ति के जीवन भय आख्या मांगी जायेगी तभी उसके आधार पर गनर, सुरक्षा प्रदान की जायेगी, लेकिन पांडियन को सुरक्षा प्रदान किये जाने के मामले में सरकार, शासन ने न्यायालय की अवमानना कर कानून की धज्जियाँ उड़ाने का काम किया है। जनसंघर्ष मोर्चे ने राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, मौ असद, ओपी राणा, हाजी जामिन आदि मौजूद रहे।