
चमोली। जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट व्यवस्था को लेकर जिलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में बताया गया कि इनर लाइन परमिट दो श्रेणियों में जारी किए जाएंगे—पहला लोकल ट्रांजिट पास, जो दो दिन से अधिक की अनुमति के साथ मुख्यतः चरवाहों के लिए जारी होता है, और दूसरा इनर लाइन परमिट, जो पर्यटकों के लिए दो दिन की अवधि के लिए जारी किया जाएगा।
इनर लाइन परमिट के अंतर्गत पर्यटकों को नीति पास, माना पास और रिमखिम पास से जुड़े कुल 16 टूरिस्ट लोकेशनों तक जाने की अनुमति दी जाएगी। यह परमिट केवल चारधाम यात्रा के दौरान ही ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जारी किए जाएंगे, जिसकी प्रति व्यक्ति फीस ₹200 निर्धारित की गई है। प्रत्येक दिन अधिकतम 35 लोगों को ही यह परमिट जारी किया जाएगा।
इस परमिट के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, जैसे पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट, पहचान पत्र, ऐफिडेविट और मेडिकल जांच रिपोर्ट। 60 वर्ष से अधिक उम्र के यात्रियों को अनिवार्य रूप से मेडिकल रिपोर्ट के साथ ही परमिट दिया जाएगा। जिलाधिकारी ने बैठक में यह निर्देश भी दिया कि परमिट पर स्पष्ट रूप से यह शर्त हो कि खराब मौसम या सुरक्षा कारणों के चलते जारी परमिट को रद्द भी किया जा सकता है।
बैठक में एडीएम विवेक प्रकाश, उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।
क्या है इनर लाइन परमिट:
इनर लाइन परमिट एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जिसे संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है। यह भारतीय नागरिकों को संरक्षित क्षेत्रों में सीमित अवधि के लिए प्रवेश की अनुमति देता है। यह व्यवस्था बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत लागू की गई थी। इसका उद्देश्य पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना की रक्षा करना है। इस अधिनियम के तहत एक ‘इनर लाइन’ नामक काल्पनिक रेखा